वो इंसान ही क्या जो सपने न देखें तो मैंने भी एक सपना देखा था पत्रकारिता के सबसे बड़े संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान में दाखिला लेने का। हालांकि वैसे भारतीय जनसंचार संस्थान के बारे में भी ढेले भर का भी ज्ञान नहीं था। इसी पर मनोज मुंतसिर साहब की कुछ पक्तियां याद आ रही हैं
जूते फटे पहनकर आकाश पर चढ़ा थे
हमारे सपने औकात से बढ़े थे
सर काटने से पहले दुश्मन ने सर झुकाया
जब देखा हम निहत्थे मैदान में खड़े थे
हालांकि पहली बार ढेले भर का ज्ञान आया एक छोटकुआ मीडिया संस्थान से आया…जहां मैं बिना पत्रकारिता के डिग्री के नौकरी करने के लिए चला गया, क्योंकि वह दौर कोरोना का था….यह बात है 17 नवबंर 2019 की जब चीन में कोरोना ने दस्तक दे दी थी और धीरे-धीरे कोरोना यूरोप होते हुए दुनिया के अलग अलग हिस्सों में फैल रहा था…हालांकि उस समय चीन में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ था हजारों की संख्या में लोगों की मौते हो रही थीं…लेकिन मैं छुटकुआ से संस्थान में इंटर्नशिप कर रहा था…लेकिन अब आप सोच रहे होंगे उस छोटकुआ से संस्था में मैं पहुंचा कैसे…तो दरअसल ऐसा है कि बॉलीवुड के अभिनेता सुशांत सिंह की आत्महत्या की गुत्थी पर सभी बड़कुआ मीडिया चैनल में सरफुटउवल बहस होती थी। इसके साथ ही उसी समय नवंबर 2020 में पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश के किसान नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाएं घेरकर आंदोलन कर रहे थे। उसी धधकते मुद्दे का गवाह मैं भी रहा और अब ये था कि कैसे वहां तक पहुंचा जाए। जो इन किसानों से सवाल कर रहे हैं? कैसा होता ये मीडिया चैनल वाला? कैसे इतना चिल्ला लेते हैं ये?…तो क्या फेसबुक लिंकडिन सहित कई जॉब के इस्तिहार देखते हुए एक मीडिया संस्था में पहुंच गया…मैंने सोचा अब तो नौकरी मिल गई…लेकिन वहां पहुंचा तो एडिटर साहब ने जरनल नॉलेज का टेस्ट लिया और खबर के बारे में पूछा कैसे लिखते हैं। पता हो तब बताए न लेकिन जब पता ही नहीं होगा तो कैसे बताएंगे…. जिसके बाद एडिटर साहब ने कहा हम आपको इंटर्न रखेंगे…तीन महीने आप सीख जाएंगे तो आपको पैसा दिया जाएगा। मैंने हां कर दिया। मुझे वो तारीख और समय आज भी याद ही जब मैंने मीडिया का एम भी नहीं पता होने के बाद भी मैंने इंटर्नशिप करने चल दिया क्योंकि कॉलेज चल रहे थे और मैं कॉलेज न जाकर खबर सीखने जाता था। 1 जनवरी 2021 का वह सुबह 9.45 पर मैंने दफ्तर पहुंचा…खास बात उस दफ्तर की थी जिस फ्लोर पर लोकल न्यूज का दफ्तर था जिसमें मैं जा रहा था उसके नीचे वाले फ्लोर पर नेशनल न्यूज चैनल का दफ्तर था जिसमें मुझे महज 1 साल बाद नौकरी मिल गई…खैर मैं दफ्तर के अंदर पहुंचा…तो वहां दो बड़े पत्रकार मिले…मेरे लिए बड़े ही मैं तो उनके सामने पायदा ही था और हूं हिंदी कमाल की कीबोर्ड पर हाथ ऐसे चल रहे मानों कीबोर्ड पर गोली दागी जा रही हो…लेकिन इतने में ही मेरे पर उन्होंने उड़ता हुआ तीर मारा, क्यों आए हो यहां टाइपिंग आती है खबर क्या होती है जानते हो…मैंने कहा नहीं सर…फिर उन्होंने कहा क्या करोगे पत्रकारिता करके कुछ नहीं रखा है इसमें…मैं खामोशी से सुनता रहा…उन्होंने दो चार वाक्य बताएं टाइपिंग के और मैंने दोपहर करीब दो बज़े तक वहीं किए अब समय हो चुका था लंच का मैंने बाहर जाकर लंच किया इसके बाद फिर आकर टाइपिंग करना शुरू किया जो कि हो नहीं रही थी…दबाता कुछ और था दबता कुछ और था अक्षर समझ न आते थे…लेकिन इतने में एक सर ने कहा चाय पिओगे मैंने कहा पी लेंगे सर…उन्होंने कहा तो जाओ ले आओ…बाहर से हालांकि उन्होंने चाय के पैसे दिए और 6 चाय मंगाई…मैं चाय लेकर आया चाय पी। फिर शाम के 6 बज गए मैंने बाइक उठाई अपनी चल दिया घर…
ऐसे ही चलता रहा…3 महीने बीत गए और 31 मार्च 2021 को इंटर्नशिप खत्म हुआ और मैं सर्टिफिकेट लेकर चल दिया…और अपने समेस्टर परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी क्योंकि 15 दिन बाद ही परीक्षा थी…पहले सेमेस्टर की परीक्षा पहले ही थोड़ी खराब गई थी…उसका अलग कारण है…क्योंकि परीक्षा के एक दिन पहले ही एक्सीडेंट हो गया था जो याद था वो सब भूल गया था मैं और पहले समेस्टर की परीक्षा खराब होने का दवाब दूसरे सेमेस्टर पर भरपूर था लेने….कहते हैं भगवान की लीला अपरमपार है…कोरोना के कारण पूरे देश में लॉकडाउन और परीक्षाएं क्या कक्षाएं नहीं लगी…और दूसरे समेस्टर में पहले के आधार पर पास कर दिए गए अब आप समझ ही गए होंगे पहले के आधार पर पास करने का मतलब खैर अब ये था कि करें क्या कॉलेज बंद कुछ नहीं चल रहा है तो तीन महीने के आपार बैठकी के बाद वहीं सवालिया वाले सर से मेरी थोड़ी बनने लगी थी और उनको कह दिया था गुरुदेव थोड़ा मुझे भी नौकरी कहीं दिला दी जाए। फिर उन्होंने लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा सर के न्यूज पोर्टल का नंबर दिया मैंने कॉल किया जून माह था इंटरव्यू दिया…हालांकि तबतक मुझे टाइपिंग भी आ चुकी थी और खबर की समझ थोड़ी बेहतर हो गई तब तक प्रेस रिलीज लिख लेता था….इस्तेफाक से मुझे प्रेस रिलीज ही टेस्ट में लिखने को मिली। मैंने प्रेस रिलीज लिखी…मुझे याद है कि वह प्रेस रिलीज शिक्षकों के ओपीएस पेंशन को लेकर धरना प्रदर्शन पर थी। खैर मैंने लिखी…और उसके बाद मेरे चयन हो गया मैंने 1 जुलाई 2021 से काम शुरू किया और एक साल काम किया और इस बीच मुझे कई बीट पर काम करने का मौका मिला…योगेश सर के साथ काम करने की सबसे अच्छी बात यह थी कि उन्होंने गलतियों को बताया और उससे अधिक वर्क फ्रॉम होम की नौकरी कॉलेज को करते हुए नौकरी कर ली। इवनिंग शिफ्ट में काम करना होता था मजे से दिन में क़ॉलेज शाम को पत्रकारिता के कुछ काम…खैर एक साल में मन उब गया और अंतरमन व्यथित होने लगा और बदलाव के ख्याल आने लगे क्योंकि जिनके साथ काम कर रहा था वह सभी सीनियर भी संस्थान छोड़कर जाने लगे थे तब तक भारतीय जनसंचार संस्थान के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर ली थी, कैसे परीक्षा होगी कितने लघु उत्तरीय प्रश्न होंगे,कितने दीर्घ उत्तरीय प्रश्न होंगे और इंटरव्यू और ग्रुप डिस्कशन कैसे पास करें इसको लेकर हर दिन चिंतन और उसपर काम कर रहा था…लेकिन ग्रेजुएशन पूरा नहीं हुआ था तो एक साल का इंतजार था, अब ग्रेजुएशन के आखिरी वर्ष में था और 5वें समेस्टर की परीक्षा चल रही थी और इस बीच ईटीवी भारत की लिखित परीक्षा भी दे दी थी। हालांकि मुझे उम्मीद भी कम थी। लेकिन अब 15 मार्च 2022 को कॉल आया कि आपको इंटरव्यू देना है, मैंने कहा ठीक सर…और 16 को इंटरव्यू हुआ और इसी बीच यूपी में विधानसभा चुनाव चल रहा था था…मैं एक ओर विधानसभा चुनाव की खबरें कवर करता दूसरी ओर परीक्षा सर पर थी…लेकिन खबरों से प्यार इतना की करें थोड़ा बहुत पढ़ लेते थे…खैर 17 मार्च 2022 से 5वें समेस्टर की परीक्षा शुरू हुई थी…मैं परीक्षा देने लगा लेकिन इस बीच फिर 19 मार्च को फोन की घंटी बजी और एचआर ने कहा आपका चयन हो चुका है और 15 दिनों के भीतर हैदराबाद आना होगा आपकी 4 अप्रैल को ज्वाइनिंग है। मैंने बिना सोचे समझे हां कर दी। यहां तक की मम्मी जी को भी एक बार नहीं पूछा कि जाउं कि नहीं…जिसका दु:ख मुझे आज भी हैं खैर 2 अप्रैल को मेरी आखिरी परीक्षा और 4 अप्रैल को मेरी ज्वाइनिंग अब मुझे अगर समय पर पहुंचना है तो सिर्फ एक साधन फ्लाइट…मैंने फ्लाइट की टिकट की और 2 अप्रैल की ही रात 8 बजे….3 घंटे का पेपर मैंने 2 घंटे में करके एयरपोर्ट पहुंचा….1.5 घंटे एयरपोर्ट के वेटिंग हॉल में बैठने के बाद फ्लाइट हमारी हैदराबाद के लिए निकली और मैं भी विद्या कर्म भूमि के अपने शहर को छोड़कर निकला…खैर रात 11 बजे मैं राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैदराबाद पहुंचा…फिर एक भाईया के यहां स्टे किया फिर यह यात्रा एक साल चली…इस बीच आईआईएमसी की प्रवेश परीक्षा भी हुई लेकिन मेरे एडिटर में मुझे छुट्टी नहीं दी और मैंने 2022 सितंबर में हुई परीक्षा नहीं दे पाया…परीक्षा नहीं दे पाने के मलाल के कारण मैंने कुछ ही महीनों बाद नौकरी छोड़ दी और आ गया दिल्ली…फिर अप्रैल 2023 में सीयूईटी पीजी का फॉर्म आया और भर दिया….लेकिन तैयारी इस बार रत्ती भर की नहीं कर रहा था…लेकिन मई 2023 का महीन नौकरी से तंग आकर इस्तीफा और फिर जून माह में होने वाली परीक्षा की भरपूर तैयारी में लग गया नोएडा में रहते हुए ही…और वो दिन 10 जून 2023 का दिन…तीसरे सेशन में परीक्षा…उससे अधिक प्रेशर उसी दिन लखनऊ के लिए निकलना था क्योंकि एक पीआर कंपनी में नौकरी मिल गई थी जब तक सीयूईटी का रिजल्ट नहीं आ जाता, परीक्षा बेकार गई थी तो भरोसा कम था खैर विश्वास था क्योंकि मेरा ही पेपर बेकार नहीं गया था सभी का गया था…रिजल्ट आ गया और काउंसिल शुरू हुई 31 जुलाई से दिल्ली हिंदी पत्रकारिता में पहली च्वाइस भर दी थी, लेकिन ऐन वक्त पर 9 अगस्त को परिवर्तन कर दिया और पहली पंसद जम्मू भर दी क्योंकि एक सज्जन ने कहा तुम्हारे नबंर कम हैं दिल्ली नहीं मिलेगा…खैर मैं मान गया और पहले राउंड में ही मुझे जम्मू कैंपस मिल गया, फीस सबमिट करने के लिए दिल्ली से फिर लखनऊ वापस आ गया…फीस सबमिट की और फिर 1 सितंबर को दिल्ली के निकला क्योंकि 4 सितंबर को दस्तावेजों का सत्यापन कराना था…अब दो दिन दिल्ली में लोगों से मिलने के बाद 3 को जम्मू के लिए निकल गया…अपना बोरिया बिस्तर सब लेकर 4 सितंबर को पहुंचा तो मेरा सिम कार्ड बंद…पूछने पर पता चला तो जम्मू कश्मीर में सिर्फ जम्मू कश्मीर का सिम चलता है, फिर सिम ली और एक लोग से बात की और फिर ओटो करके जम्मू कैंपस पहुंचा….पथरीला रास्ता….500 मीटर पहले ही ओटो वाले ने उतार दिया और पथरीले रास्ते पर चार बैग लेकर चलना मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन बैग की घसीटते हुए धीरे-धीरे चलता रहा और इतने में एक भाईया पीछे से आने…जिनका नाम जसवीर जो आने आने और जम्मू से विदा लेते समय साथ रहे…खैर कैंपस के गेट पर पहुंचा गार्ड साहब मौजूद थे वहां रजिस्टर में एंट्री की और उन्होंने पानी पिलाया और फिर बैग उठाया और चल दिया…इतने में वैभव चौधरी, संजय और अधिनायक मिले…खड़ी बोली में बोले अरे रूक जा रहे काहे इतना परेशान हो रहा मैं थारा सीनियर हूं पहुंचा देता हूं…उन्होंने बैग लिया और हम हॉस्टल की ओर चल दिए…पहले रूम में सामान रख दिया और फिर वेरिफिकेशन के लिए एडमिन हॉल में चल दिए…वेरिफिकेशन हो चुका था अब भूख उबाल मार रही थी इतने में वेरिफिकेशन हॉल में बैठे सत्यापन कर्ता और प्रोफेसर दिलीप सर ने कहा किसको किसको खाना खाना है किसके लिए बनवाया जाए तो हमने करीब 7 लोगों ने हाथ उठाया और फिर खाना बना, और खाना खाने के लिए 1 किलोमीटर करीब चलकर जाना हुआ, लेकिन भर पेट खाना खाने के बाद जो मन चंगा हुआ है उसके क्या ही कहने!!….ऐसे ही चलता रहा…धीरे धीरे छात्रों की संख्या बढ़ती गई…मस्ती भी बढ़ती गई….जम्मू की सौंदर्यता और प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है। लेकिन 4 सितंबर से लेकर 16 अक्टूबर के बीच मैंने जम्मू को जिया या यूं कहे तो निवेश के साथ अनुभव का एहसास भी हुआ। क्योंकि राजनीति का भी शिकार हुआ। कई लोगों से मतभेद हुए कई मुद्दों पर लोगों से बहस उनमें से दो तीन लोगों से दोस्ती तक खत्म हो गई। लेकिन जम्मू शहर और आईआईएमसी के कैंपस ने भावानात्मक रूप से इतना पास कर लिया था कि क्या ही कहे। बैंडमिटन से कैंपस गुलजार है तो क्रिकेट से हॉस्टल को गुलजार कर रखा था मैंने…लेकिन 10 अक्टूबर को स्पॉट राउंड 4 ओपन हुआ और मैंने आवेदन कर दिया और 13 अक्टूबर को मेल आता है आपका चयन दिल्ली हो गया है। मेरी खुशी का अंदाजा शायद मुझे न ही था, लेकिन अंदर से मेरा मन व्यथित था, जो चाहता था मुझे मिल गया था, लेकिन जम्मू से जुड़वा मेरे लिए बेहद करीब था फिर 16 अक्टूबर की मैंने टिकट कराई। 16 अक्टूबर को ही सारे ऑफिशियल काम कराने के बाद मैं चल दिया। जिसकी चाहत मुझे जनवरी 2021 में पहली बार हुई थी उस लाल दीवारों की…जिसको अपने मोबाइल पर देखा था…लेकिन कभी जाकर नहीं देख पाया था…अब बेस्रबरी से इंतजार था लाल दीवारों का दीदार करने का जिसका करीब 3 साल इंतजार किया था…17 अक्टूबर को मेरा इंतजार खत्म हुआ…बेहद खूबसूरत हैं लाल दीवारें, जिसे देखकर अलग सी अनभूती होती है…नि:शब्द…आगे का किस्सा अगले भाग में…
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